Wednesday, 17 February 2016

तन समर्पित, मन समर्पित

'तन समर्पित , मन समर्पित

तन समर्पित , मन समर्पित
और ये जीवन समर्पित

आस्तिक हों विचार मेरे
प्रयास मेरे तुझको समर्पित

स्वच्छ हों सब कर्म मेरे
कर्म सब तुझको समर्पित

पर उपकार जीवन बना लू,
मानवता सब कुछ लुटा दूँ.

उत्कर्ष की तुम राह देना
अभिनन्दन तुझको समर्पित

है कृपालु, है दयालु
सारी कृतियाँ तुझको समर्पित

कीर्ति पताका करना रोशन
पुरस्कार तुझको समर्पित

अभिमानी मुझको न करना
स्वाभिमान तुझको समर्पित

अनुनय विनय स्वीकार करना
जीवन मेरा तुझको समर्पित

पवित्र हों विचार मेरे
अहंकार मुझको न घेरे

संतोष हो जीवन का गहना
करें मैं सब कुछ समर्पित

हे प्रभु तेरी कृपा हो
सदिचार तुझको समर्पित

प्रार्थना स्वीकार करना
प्रयासों को मैरे अनुपम करना

शीश तेरे चरणों में रखकर
करें अपना सब कुछ समर्पित

अनुरोध मेरा स्वीकार करना
सच की राह मुझको है वरना

अंतःकरण पावन हो मेरा
जीवन का हर क्षण समर्पित

मिक्षु बन तेरे द्वार आया
माया जगत मुझको न भाया'

कर मुझे सरिता सा पावन
करे तुझे सब कुछ समर्पित

मुक्ति का वरदान देना
चरणों का अपने दास करना

याचना अक्ति की करता
दयानिधि जीवन समर्पित

अपना अनुचर मुझको करना
चरणों मैं अपने मुझको रखना

मोक्ष हो जीवन का गहना
कर्म सब तुझको समर्पित




No comments:

Post a Comment