Tuesday 16 February 2016

नशा करोगे तो - नशा मुक्ति पर कविता


नशा करोगे तो


नशा करोगे तो , यौवन का साथ कैसे पाओगे

 जियोगे चंद रोज़, मौत को जल्दी ही गले लगाओगे


नशे ने दी है , घरों को कलह की सौगात

नशे में जो डूबे रहोगे, तो चूड़ियों की खनक को तरस जाओगे


नशे ने छीन लिए हैं , माँ से बेटे, बहन से भाई

नशे ने छीनी जवानियाँ, जीवन को तरस जाओगे.


तम्बाकू, कोकीन या हीरोइन , नशे सभी हैं बुरे 

नशे ने रुलाये खून के आंसू यूं ही डूबे रहे . तो सम्मान कहाँ से पाओगे


नशा करने वालों की , हंसी  नहीं होती सुबह

नशा हुआ किसी का दोस्त नहीं, यूं ही नशा करोगे, तो अभिनन्दन कहाँ से पाओगे


नशे से टूटते  रिश्ते समाज मैं घटता रूतबा

नशे से देश की बिगइती छवि , यूं ही नशे के दलदल मैं डूबे रहोगे तो, देश का सम्मान
कैसे बढ़ाओगे


नशा करोगे तो मात के दलदल मैं फंसते जाओगे , नशा करोगे तो रिश्तों को कैसे
निभाओगे

नशा करोगे तो मौत को करीब पाओगे , नशा करोगे तो मौत को गले लगाओगे


नशा करोगे तो , यौवन का साथ कैसे पाओगे

 जियोगे चंद रोज़, मौत को जल्दी ही गले लगाओगे


नशे ने दी है , घरों को कलह की सौगात

नशे में जो डूबे रहोगे, तो चूड़ियों की खनक को तरस जाओगे



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