Monday, 15 February 2016

नववर्ष को नित मंगल कामनाओं से पुष्पित करो

नववर्ष को नित मंगल कामनाओं से 
पुष्पित करो


नववर्ष को नित मंगल कामनाओं से पुष्पित करो
कुछ आदर्श मैं रचूँ , कुछ आदर्श तुम रचो

कुछ सुअवसर प्रतीक्षा मैं करूँ , कुछ सुअवसर प्रतीक्षा तुम करो
नववर्ष को नित मंगल कामनाओं से पुष्पित करो

कुछ मंगल स्वप्न मैं देखूँ , कुछ मंगल स्वप्न तुम देखो
राष्ट्र और समाज हित , कुछ पुष्प कुसुमित तुम करो

कर सुसज्जित तुम स्वयं को, राष्ट्र हित धरोहर बनो
नववर्ष को नित मंगल कामनाओं से पुष्पित करो

वो नदी भी क्या नदी है , जिसमे दो बूँद पानी हो
वह उपवन भी क्या उपवन है, जिसमे खुशबू की रवानी हो

वह दीया भी क्या दीया , जो रौनक हो किसी अँधेरे कोने का
अपने प्रयासों की सरिता से, रोशन सुबह को तुम करो

चीर कर तम का परचम, अविचल तुम बढ़ो
धैर्य को पूँजी बनाकर, रोशन तुम उपवन करो

संस्कारों को पूँजी बनाकर, संस्कृति के रंग भरो
अंधविश्वास से खुद को बचाकर, आध्यात्म मार्ग पर तुम बढ़ो

इस गुलशन को उपवन सा बना दो अपने अथक प्रयास से
कुछ कांटे मैं चुनूं, कुछ कांटे तुम चुनो

नववर्ष को नित मंगल कामनाओं से पुष्पित करो
नववर्ष को नित मंगल कामनाओं से पुष्पित करो


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