Wednesday 19 December 2012

पल पल गिरता


पल पल गिरता

पल- पल गिरता
पल- पल उठता
कुछ -कुछ उजड़ा
मंजिल मंजिल
सबकी चाहत
राग ये होता
हर- पल पल- पल

कहाँ ठिकाना
होगा किस करवट
उलझा उलझा
कुछ तो सुलझे
इसी चाह में
सुबह से शाम
हफ़्तों महीने
यूं ही चलता सफर
अंत नहीं है
इस सफर का

मन को समझाता
चाहतों पर रोक लगाता
फिर भी इसको
आस न दिखती
भारी पल -पल
भारी क्षण -क्षण
सांसें नम हैं
गम ही गम हैं

फिर भी आस
दिखाता जीवन
रुकता बढ़ता
बढ़ता रुकता
चलता जाता
पल -पल
क्षण- क्षण

काश हो ऐसा
खिलें सभी- तन
खिलें सभी- मन
चमकी- चमकी
खिली सुबह हो
मिल जाए
सब को ये जीवन
खिले चाँदनी
राह पुष्प भरी हो जाए

सूना- सूना
कुछ भी न हो
चंचल- चंचल
मंद नदी -सा
बहता- बहता
सबका जीवन
सबसे सब कुछ
कहता जीवन
कभी रुपहली
रात न आये
खिले चाँद सा

जीवन जीवन
कभी न रुकता
आगे बढ़ता
पुष्पित करता
हर -तन हर -मन
सभी रंग के
धर्म सजे हों
सभी रंग के
कर्म सजे हों
पल- पल
पल्लवित होता जीवन
कभी न रुकता
कभी न गिरता

बढ़ता जाए
सबका जीवन
अंत सभी का
मनचाहा हो
मोक्ष राह में
बाधा न हो
मन में
कोई निराशा न हो
अंत समय
कोई आशा न हो

मोक्ष मार्ग पर
बढ़ता जीवन
सबको सबका
भाता जीवन
देवतुल्य हो जाए जीवन

जीवन तुम
जीवन हो जाओ
आदर्श धरा पर
तुम छा जाओ
जीवन तुम जीवन की आशा
पूर्ण करो सबकी अभिलाषा




No comments:

Post a Comment