जीवन ज्योति जगाऊं कैसे
कैसे करूँ तेरा अभिनन्दन
कैसे करूँ मैं कोटि वंदन
निर्मल नहीं है काया मेरी
शीतल नहीं हुआ मन मेरा
जीवन ज्योति जगाऊं कैसे
निर्मल नीर कहाँ से लाऊं
कैसे तेरे चरण पखाऊँ
तामस होता मेरा तन मन
निर्जीव जी रहा हूँ जीवन
जीवन ज्योति जगाऊं कैसे
अमृत वचन कहाँ से पाऊं
कैसे तेरी स्तुति गाऊं
सूरज बन चमकूँ मै कैसे
चंदा बन चमकूँ मैं कैसे
जीवन ज्योति जगाऊं कैसे
आँगन मेरा तुम बिन सूना
अधीर हो रहे मेरे नयना
निश्चल समाधि पाऊं कैसे
जीवन ज्योति जगाऊं कैसे
जीवन ज्योति जगाऊं कैसे
उत्कर्ष मेरा होगा प्रभु कैसे
बंधन मुक्त रहूँगा कैसे
पीड़ा मन की दूर करो तुम
असह्य मेरा दर्द हरो तुम
जीवन ज्योति जगाऊं कैसे
नैतिकता की राह दिखा दो
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