मुझको हो हर पल तेरा एहसास
तू यहीं – कहीं है मेरे आसपास
हर पल जुबां पर हो तेरा नाम
तू ही सँवारे सबके काम
तेरे आदेश से ही रोशन जिन्दगी
तेरी मर्जी से होती रोशन कायनात
तू चाहे तो पल में राजा को रंक कर दे
तू चाहे तो पल में जिन्दगी बदल दे
एक तेरे चरणों का जो मिल जाए सहारा
दीदार हो जाए मोक्ष राह का द्वारा
तेरी चंचल चितवन पर रीझे हैं सभी
तेरे चरणों की लालसा में जी रहे हैं सभी
हमें भी अपने चरणों का दास कर ले
थोड़ी सी भक्ति का हमें भी वर दे
जियें तो बस एक तेरे नाम का सहारा लेकर
तू चाहे तो मुझे भी पार करा दे मालिक
मुझको हो हर पल तेरा एहसास
तू यहीं – कहीं है मेरे आसपास
हर पल जुबां पर हो तेरा नाम
तू ही सँवारे सबके काम
अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"
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