आओ दर्द मिटायें
उन जीवित सिसकती सांसों का
जो जीवित होते हुए भी जीवित नहीं हैं I
आओ दर्द मिटायें
उन भीगी आंखों का
जो ना चाहते हुए भी ग़मगीन हैं I
आओ दर्द मिटायें
उस सिसकते बालपन का
जो अभावों से ग्रसित हैं I
आओ दर्द मिटायें
उस बेबस चहरों की थकान का
जो चीथड़ों में लिपटे हुए हैं I
आओ दर्द मिटायें
उन जीवित रूहों का
जो जीवन को तरस रही हैं I
आओ दर्द मिटायें
उस मुस्कान रहित बालपन का
जो अथाह पीड़ा से ग्रसित है I
आओ दर्द मिटायें
उन तड़पती जीवित आत्माओं का
जो रोगों से ग्रसित हैं I
No comments:
Post a Comment