Sunday, 11 May 2025

आओ दर्द मिटायें

 आओ दर्द मिटायें

उन जीवित सिसकती सांसों का
जो जीवित होते हुए भी जीवित नहीं हैं I

आओ दर्द मिटायें
उन भीगी आंखों का
जो ना चाहते हुए भी ग़मगीन हैं I

आओ दर्द मिटायें
उस सिसकते बालपन का
जो अभावों से ग्रसित हैं I

आओ दर्द मिटायें
उस बेबस चहरों की थकान का
जो चीथड़ों में लिपटे हुए हैं I

आओ दर्द मिटायें
उन जीवित रूहों का
जो जीवन को तरस रही हैं I

आओ दर्द मिटायें
उस मुस्कान रहित बालपन का
जो अथाह पीड़ा से ग्रसित है I

आओ दर्द मिटायें
उन तड़पती जीवित आत्माओं का
जो रोगों से ग्रसित हैं I

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