Friday 18 March 2016

वो सवार ही क्या - मुक्तक

१.


वो सवार ही क्या

जिसे मंजिल का एहसास न हो

वो पतवार ही क्या

जिसे किनारों का एहसास न हो

२.

इश्क को वफ़ा से

यूं न जोड़कर देखो

वक़्त का क्या भरोसा

किस करवट बदल जाए



3.


बेगैरत हैं वो

जिन्हें मादरे--वतन से प्यार नहीं

बिक जाते हैं जो

चंद सिक्कों के लिए


4.

बला की खूबसूरती से

नवाज़ा है खुदा ने उसको

खुदा करे उनको

हमसे मुहब्बत हो जाए

5.


अभी कुछ और रातें

तन्हाइयों में गुजरेंगी ए नादाँ दिल

सब्र रख उस खुशनुमा

सुबह के होने तक



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