Monday 4 April 2016

वक़्त के समंदर में


वक्त के  समंदर में

वक़्त के समंदर में , कोशिशों की नाव चलाकर देखो
किनारे तेरी मंजिलों का पता होंगे , मंजिलें तुम्हारे कदमों का निशाँ होंगी

वक़्त को अपना ,हमसफ़र बनाकर तो देखो
तेरे प्रयासों को खुला आसमां ,होगा नसीब

अपनी कोशिशों को ,जिंदगी का मकसद कर लो
तेरी उम्मीदों को हंसी मंजिलों का ,दामन होगा नसीब

वक़्त को अपनी मंजिलों का ,हमसफ़र बनाकर देखो
तेरी जिंदगी ,जन्नत के एहसासों से रूबरू होगी.

खिलेंगे फूल तेरी राहों में, जिंदगी संवर जायेगी तेरी
तेरे प्रयासों को गर , वक़्त सा हमसफ़र जो हो जाए नसीब

तेरी कोशिशें तेरे जूनून की ;गर हो जाएँ गवाह
तेरी कोशिशों को खुले आसमां सा ,हमसफ़र होगा नसीब

तेरे प्रयासों पर ,खुदा का जो हो जाए करम
तेरे अरमानों, तेरी मंजिलों , तेरे ख़वाबों को जन्नत हो नसीब

तेरे प्रयास तेरी मंजिल का , सबब हो जाएँ
इंतज़ार फिर किस बात का , तुझे ऐ मुसाफिर

वक़्त के समंदर में , कोशिशों की नाव चलाकर देखो
किनारे तेरी मंजिलों का पता होंगे , मंजिलें तुम्हारे कदमों का निशाँ होंगी

वक़्त को अपना ,हमसफ़र बनाकर तो देखो
तेरे प्रयासों को खुला आसमां ,होगा नसीब




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