Friday, 18 March 2016

आवेश में आकर मानव - मुक्तक

१.

आवेश में आकर मानव
सदबुद्धि खो देता है
इस अवस्था में मानव का
हर पल  पतन होता है


२.

विजय की बात कर
और विजय की राह चल
पराजय उनकी होती है
जिनकी कोई मंजिल नहीं होती









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