माँ शारदे :- कृपा तेरी - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम " की रचनाओं, कहानियों , विचारों का संसार
मेरी रचनाएं मेरी माताजी श्रीमती कांता देवी एवं पिताजी श्री किशन चंद गुप्ता जी को समर्पित
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Friday, 18 March 2016
आवेश में आकर मानव - मुक्तक
१.
आवेश में आकर मानव
सदबुद्धि खो देता है
इस अवस्था में मानव का
हर पल पतन होता है
२.
विजय की बात कर
और विजय की राह चल
पराजय उनकी होती है
जिनकी कोई मंजिल नहीं होती
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