Wednesday, 16 March 2016

तुम जो सच कहोगे

तुम जो सच कहोगे

तुम जो सच कहोगे तो मैं भी सच ही कहूंगा
तुम जो झूठ का सहारा लोगे तब भी मैं सच का ही
साथ दूंगा

तुम जो कर्तव्य पथ पर चलोगे तो मैं भी कर्तव्य
पथ को ही सर्वोपरि मानूंगा
तुम जो कर्तव्य पथ से विमुख जो हो जाओगे, तब
भी में कतैव्य पथ पर अविराम बढ़ता चलूंगा

तुम जो अनुशासन को अपने जीवन का ध्येय बना
लोगे तो मैं भी अनुशासन पथ पर चलूँगा
तुम जो अनुशासन की राह का त्याग जो कर दोगे
तब भी मैं अनुशासन को जीवन का उद्देश्य कर
उत्कर्ष राह पर हो चलूँगा

तुम जो मानवता को अपना लोगे तो मैं भी इसी राह पर बढ़
चलूँगा
तुम जो अमानवीय व्यवहार करने लगोगे तब भी मैं मानवीय
व्यवहार के साथ स्वयं को अभिनन्दन मार्ग पर प्रस्थित करूंगा

तुम जो अभिनन्दन मार्ग को जो अपने जीवन का उद्देश्य कर
लोगे तो मैं भी अभिनन्दन मार्ग को अपने जीवन का ध्येय कर
लगा
तुम जो अभिनन्दन पथ से विमुख हो जाओगे तब भी मैं
अभिनन्दन राह को अपने जीवन का सत्य कर लूंगा

तुम जो स्वाभिमान की बात करोगे तो मैं भी स्वाभिमान को
अपने जीवन का गहना कर लूँगा
तुम जो अहं में डूब जाओगे तब भी मैं स्वाभिमान को ही जीवन
का उद्देश्य कर लूंगा

तुम जो कर्म प्रधान जीवन जीना पसंद करोगे तो मैं भी
कर्मप्रिय को कर्म राह हो चलूँगा
तुम जो कर्म प्रधान न हो परिणाम को ध्येय कर लोगे तब भी
मैं सदकर्म को ही जीवन का चरम किये रहूँगा

तुम जो जीवन को सरिता सा पावन कर लोगे तो मैं भी स्वयं
को पावन गंगा सा निर्मल कर लूँगा

तुम जो आस्तिक हो उस प्रभु के चरणों में जीवन अर्पित कर
दोगे तो मैं भी स्वयं को उस परमात्मा के चरणों में अर्पित कर
दूंगा
तुम जो उस प्रभ्नु की राह से भटक जाओगे तब भी मैं खुद को
उस परमात्मा के चरणों का दास बना लूँगा ,
उसकी भक्ति में जीवन के आठों पहर अर्पित कर दूंगा ,
स्वयं को उनकी भक्ति के रंग में रंग लूँगा ,
उनकी कृपा का पात्र होकर जीवन को मोक्ष राह की ओर
प्रस्थित करूंगा और ,
बढ़ चलूँगा उस अंतिम सत्य की ओर ....................

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