Sunday, 13 March 2016

रात की चाँदनी

रात की चांदनी

रात की चांदनी
शांत भाव से

जिस तरह
जीविका रुपी
वनस्पतियों को
पुष्ट करती है

ठीक उसी तरह
मैं 

मानव को

संस्कृति व संस्कारों,
आदर्शों को संजोते हुए
देखना चाहता हूँ

आने वाली
पीढ़ी को
सुविचारों से
पुष्ट करते हुए |



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