Friday, 18 March 2016

अक्सर वो मेरे ख़्वाब में

अक्सर वो मेरे ख़वाब में
मुझे रूबरू होते हैं
खुदा करे ये ख़वाब में उनका आना
हकीकत हो जाए

वो गुलशन ही कया
जिसमे गुलाब न हो
वो जिन्दगी ही क्या
जिसमे जीवनसाथी का साथ न हो

तृष्णा , प्यास, लालसा और अभिलाषा
सभी मायाजाल हैं
माया -- मोह में उलझा मानव
मोक्ष मार्ग पर होता कंगाल है

दोस्ती जहां में खुदा का दिया
खूबसूरत उपहार है
जिसका कोई दोस्त न हो
उसकी जिन्दगी बेज़ार है

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