पुष्प जिस तरह काँटों के बीच
पुष्प
'जिस तरह
कॉँटों के बीच रहकर भी
खुशबू से
प्रकृति को सराबोर
करने की
अपनी प्रवृत्ति
को नहीं भूलते
उसी तरह युवा पीढ़ी
अपने आत्म बल,
मानवतावादी विचारों,
संकल्पों के माध्यम से
अपने समाज ,धर्म,
और राष्ट्र को विश्व मंच पर
सुशोभित करें
और अपनी
संस्कृति , संस्कारों , परम्पराओं
को विश्व मंच पर
स्थापित करें
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