Wednesday, 12 September 2018

उत्थान की ओर दो कदम



उत्थान की और दो कदम 


द्वारा

अनिल कुमार गुप्ता 

जब तुम स्वयं का आत्म मंथन करने लगो
जब तुम्हारे भीतर आत्मीयता का भाव जागने लगे
जब तुम आत्मबोध का एहसास करने लगो
तब तुम मुक्ति मार्ग पर अग्रसर हो , यह महसूस करना

  
जब तुम्हारे प्रयास कर्मनिष्ठ हो, कर्मक्षेत्र का हिस्सा होने लगे
जब तम्हारी कोशिशें उत्तरदायित्व का बोध कराने लगें
जब तुम्हारे कर्म तुम्हें कर्मफल का एहसास कराने लगें
तब तुम सफलता के मार्ग पर अग्रसर हो , यह समझ लेना

  
जब तुम्हारी मुखकृति से देवत्व का आभास होने लगे
जब तुम्हारा हर एक कर्म , धर्म का प्रतीक महसूस होने लगे
जब तुम्हें सभी देव का अवतार समझ पूजने लगें
तब तुम समझना कि तुम एक पुण्यात्मा हो इस धरा पर विचार रहे हो
  

जब तुम्हारी चरण धूलि दूसरों के माथे का चन्दन होने लगे
जब लोग तुम्हारे आभामंडल के दर्शन को लालायित होने लगें
जब तुम्हारे सद्विचार दूसरों के जीवन को दिशा दिखाने लगें
तब समझना कि तुम एक पुण्य कृति हो , दूसरों का उद्धार कर रहे हो


No comments:

Post a Comment