उत्थान की और दो कदम
द्वारा
अनिल कुमार गुप्ता
जब तुम स्वयं का आत्म मंथन
करने लगो
जब तुम्हारे भीतर आत्मीयता का
भाव जागने लगे
जब तुम आत्मबोध का एहसास करने
लगो
तब तुम मुक्ति मार्ग पर अग्रसर
हो , यह महसूस करना
जब तुम्हारे प्रयास कर्मनिष्ठ
हो, कर्मक्षेत्र का हिस्सा होने लगे
जब तम्हारी कोशिशें
उत्तरदायित्व का बोध कराने लगें
जब तुम्हारे कर्म तुम्हें
कर्मफल का एहसास कराने लगें
तब तुम सफलता के मार्ग पर
अग्रसर हो , यह समझ लेना
जब तुम्हारी मुखकृति से देवत्व
का आभास होने लगे
जब तुम्हारा हर एक कर्म , धर्म
का प्रतीक महसूस होने लगे
जब तुम्हें सभी देव का अवतार
समझ पूजने लगें
तब तुम समझना कि तुम एक
पुण्यात्मा हो इस धरा पर विचार रहे हो
जब तुम्हारी चरण धूलि दूसरों
के माथे का चन्दन होने लगे
जब लोग तुम्हारे आभामंडल के
दर्शन को लालायित होने लगें
जब तुम्हारे सद्विचार दूसरों
के जीवन को दिशा दिखाने लगें
तब समझना कि तुम एक पुण्य कृति
हो , दूसरों का उद्धार कर रहे हो
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