Tuesday, 5 September 2017

वक्त के दरिया में



वक्त के दरिया में 

वक्त के दरिया में , कोशिशों के समंदर में डूबकर देखो 
चंद प्रयासों को न करो , अपनी मंजिल का हमसफ़र 

जीत जाओगे तुम , मंजिल पर होंगे कदम तेरे 
प्रयासों के समंदर में , एक बार उतारकर देखो 

प्रयासों का एक खूबसूरत कारवाँ सजाकर देखो 
मंजिल तेरे क़दमों का निशाँ होगी 

तेरे प्रयास तेरी ख़ुशी का चरम होंगे 
देंगे तुझे , आसमां पाने का एहसास 

किसी की वीरान जिन्दगी का , एक कोना रोशन कर देखो 
तेरी जिन्दगी को नसीब होगा , जीने का मकसद 

किसी के बुझे अधरों पर , मुस्कान बिखेरकर देखो 
तुझे खुदा के करीब होने का होगा एहसास 

किसी गुमसुम सी नन्ही परी के चहरे पर , मुस्कान बिखेरकर देखो 
तेरी जिन्दगी फूलों के गुलशन की मानिंद होगी रोशन 

किसी की बेबस निगाहों का ख़्वाब बनकर देखो 
तेरे ख़्वाबों पर होगा , उस खुदा का करम 

किसी की सिसकती साँसों में , सपनों की खुशबू का समंदर उतारकर देखो 
"अंजुम" तेरी जिन्दगी को नसीब होगा , जिन्दगी होने का सबब 



No comments:

Post a Comment