१.
किताबों के पन्नों को उल्लटकर देखो
इल्म का दीदार होता है ।
क्यों भटकते हैं हम यहाँ से वहां
इल्म का भण्डार यहीं कहीं आसपास |
होता है
२.
सागर में तो देरों नदियाँ समा जाती हैं
इससे वाकिफ हैं हम
खुद को ताज़ सा करो रोशन
तो कोई बात बने
3.
कहीं पानी की दो बूँद की जा रही है बेकार
तो कहीं चार
फ़र्क तो उनको पड़ा जहां एक - एक बूँद को
मानव हो रहा बेज़ार
4.
सितारों के बड़े होने की
कल्पना में मत उल्रझो
सितारों की चमक सा
करो खुद को रोशन
5.
कमल खिलता है कीचड़ में
ये जानते हैं सब
एयरकंडीशनर रूम में बैठ
सपने साकार नहीं होते
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