Monday, 11 September 2017

मुक्तक

१.


मन की कैद से बाहर निकल
अपने विचारों को दो एक खुला आसमां

एक राह मिलेगी तुझको
जो तुझे ले जायेगी मंजिल की ओर

२.

लोग कहते हैं खुदा , नज़र आता नहीं
हमको

किसी की सिसकती आहों का सहारा, 
एक बार बनकर तो देख


3.

किसी के जीवन का सत्य, तुम्हारे जीवन
का सत्य क्यों हो जाए

चलो अपना एक अलग कारवाँ सजाएं
मंजिल की ओर

4.


किसी की खुशियाँ हमारी हुईं , हुईं न
सही

किसी के गम में हिस्सेदारी हो , कुछ
ऐसा करें




5.


दूसरों के बाग से . फूल चुनना होता है
कितना आसान

खुद  का एक बाग रोशन हो ,  आओ कुछ ऐसा करें 

 



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