१.
ए चाँद इन बादलों के पार से निकल,
खुद को कर रोशन
अपनी तपिश से इन बादलों को
पिघला दे , कुछ ऐसा कर
२.
कुछ तो सुनिए अपनी, कुछ अपने दिल
की
यूं दूसरों की राह पर चलकर, मंजिल
तलाशा नहीं करते
3.
सरलता की गोद में गर , पलती है
विशालता
तो सरलता से अपने दामन को , हम
रोशन क्यों नहीं करते
4.
हर मुसीबत मुझे पत्थर की तरह,
सख्त बनाती गयी
मैं परिपक्व होता गया , मंजिल मेरे
करीब आती गयी
5.
इस दुनिया में हम कहीं हैं भी कि नहीं ,
ये हमें नहीं मालूम
चलो कुछ सत्य गुनगुनाएं , कुछ सत्य बुनकर
'देखें
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