चंद लफ़्ज़ों में बयाँ कैसे करूँ शख्सियत तेरी मौला
चंद लफ़्जों में बयाँ कैसे करूँ शख्सियत तेरी मौला
तू कारसाज़ है मेरे लफ़्जों को नूर अता कर मॉला
तूहै अजब, तेरी शान अजब , मुझ पर हो करम मौला
जिल्लत से बचाना हम सबको, अपनी पनाह मैं रख मौला
मेरे हर एक प्रयास में हो तू शामिल, कुछ ऐसा कर मौला
मैं जिस भी डगर से निक्लूँ, एहसास तेरा हो मौला
मेरे दामन को फूलों से सजा मौला, अपने करम से सजा मौला
झोली खाली है मेरी मौला, अपना शागिर्द बना मौला
तुझसे उम्मीद मुझको ऐ मेरे खुदा, अपने दर पर जगह देना मौला
मैं तेरी निगेहबानी में रहूँ. कुछ ऐसा नजारा दे मौला
नफरत से बचाना ऐ मौला, एहसासे मुहब्बत दे मौला
मैं तेरे करम से वाकिफ हूँ, मुझे अपना मुरीद बना मौला
कुछ तेरी नवाजिश हो मौला, मुझे तुझसे निस्वत हो मौला
मुझ पर हो करम तेरा मला, पलकों पर बिठा कर रख मौला
तेरा पैगाम उसूल मेरा , सच की राह दिखा मौला
मैं जागूं तो दम से तेरे. सोऊँ तो करम तेरा मौला
मेरी ख्वाहिशों में बसर कर मॉला, मेरी निगाहों में बस मौला
मेरे अरमानों , मेरे खवाबों को सजा मौला
मेरी जिन्दगी को इंसानियत की राह पर कुर्बान कर मौला
जियूं जब तक लब पर हो नाम तेरा, मरूं तो आगोश में ले मौला
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