Saturday, 23 January 2016

यादों के झुरमुट से

यादों के झुरमुट से चलो ,कुछ खुशनुमा पल चुरा लायें

यादों के झुरमुट से चलो ,कुछ खुशनुमा पल चुरा लायें

वो गलियों के नज़ारे, वो  बागों की सैर कर आयें

मोहल्ले का वो गार्डन , और मंदिर का वो आँगन

कल – कल कर बहती , नदी के तीर पर नहा आयें

आज भी याद हैं मुझे मोहल्ले की वो गलियाँ

पूछ लें हाल उस बूढ़ी नानी का , चलो नानी का दिल बहला आयें

हाथ में लट्टू और जेब में कंचों की खन – खन

कभी छुपन – छुपाई , तो कभी हाथ में क्रिकेट बैट

वो शर्मा अंकल की घुड़की , तो कभी दादी की झिड़की

गलसुआ झाड़ने वाले रहमान चाचा आज भी याद हैं मुझे

वो मस्जिद की अज़ान, आज भी गूँज रही है मेरे जेहन में

होली की हुड्दंग के नज़ारे आज भी मेरी स्मृतियों में संजोये हुए हैं मैंने

दीपावली पर वो रंग – रोगन और रौशनी के वो नज़ारे आज भी  याद आते हैं मुझे

काश मैं ताउम्र बच्चा ही रहता, पाक – साफ़ दिल से रोशन रहता

इन दुनिया के झमेलों से दूर , बालपन की अठखेलियों में मस्त रहता

 आज भी याद है मुझे  सावन में मंदिर में हर वर्ष होता अखंड रामायण का पाठ का आयोजन

ईद के अवसर पर रहमान चाचा के घर होता विशेष आयोजन

बचपन को बचपन की तरह जीने का वो अवसर आज भी याद है मुझे

पढ़ाई का ज्यादा बोझ न था , घर में हाथ बंटाने की जिम्मेदारी ज्यादा थी

हर वर्ष ग्रीष्म अवकाश में नाना -  नानाजी के घर का भ्रमण रोचक हुआ करता था

एक के बाद एक नयी ट्रेन बदलकर तीन दिन की यात्रा के बाद नाना – नानाजी के घर को पहुंचा करते थे हम

ट्रेन की यात्रा का वो आनंद आज भी रोमांचित करता है मुझे

रेलवे स्काउट्स – गाइड्स की गतिविधियों ने जीवन को एक नयी दिशा दी

कभी रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को पानी पिलाना, तो कभी किसी स्वास्थ्य शिविर में जाकर सेवायें देना

एक विशेष बात जो हमारे घर में सभी भाइयों के जीवन का हिस्सा थी

वह था जन्म दिवस और नव वर्ष या किसी त्यौहार विशेष पर ताऊ – ताई, चाचा – चाची , दादा – दादी , माता – पिता का आशीर्वाद लेने की परम्परा

आशीर्वाद की पूँजी ही आज के वर्तमान सुखी जीवन का आधार बन सकी

एक कवि, एक शायर, एक लेखक के जीवन को उन क्षणों ने ज्यादा प्रभावित किया

सामाजिकता , परम्पराओं का निर्वहन , संस्कृति और संस्कारों के प्रति आस्था

बालपन की दैनिक गतिविधियों केर माध्यम से

संचित की पूँजी के प्रतिफल के रूप में आज मेरे सामने है

सभी बन्धुगणों, मित्रगणों को कोटि – कोटि धन्यवाद   









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