Friday 15 January 2016

कदम बढ़ाने की जरूरत है

कदम बढ़ाने की जरूरत है


कदम बढ़ाने की जरूरत है , कुछ गुनगुनाने की जरूरत है

मुसीबतों के इस दौर मैं , थोड़ा सा मुस्कुराने की जरूरत है.

मंजिल पानी है तो, कुछ प्रयासों के निभाने की जरूररत है.

जीना है यहाँ कुछ पल  तो , रिश्तों को निभाने की जरूरत है.

पाना है गर खुदा को तो, इश्के-इबादत मैं डूब जाने की जरूररत है.

खिलाने हैं गर कुछ फूल इस गुलशन में तो , किसी के प्यार मैं हूब जाने की
जरूरत है.

चंद प्रयासों से रोशन होती नहीं फिजां , प्रयासों की गंगा बहाने की जरूरत
है

जीना है गर खुली हवा में तो, प्रकृति से साथ निभाने की जरूरत है

जाना है सागर पार तो, कोशिशों की नाव मैं बैठ जाने की जरूरत है.

खिलाने हैं कुछ आदर्श तो, संस्कृति और संस्कारों पर मिट जाने की जरूरत
है

लेखन को बनाना है गर जिन्दगी का सबब, तो विचारों मैं डूब जाने की
जरूरत है

'कहलाना है गर शहीद तो, देश पर मर मिटने की जरूरत है



No comments:

Post a Comment