Monday, 25 January 2016

कवियों की कलम ने कमाल कर दिया

कवियों की कलम कमाल कर दिया 

कवियों की कलम ने कमाल कर दिया.
सामाजिक बुराइयों का काम तमाम कर दिया.

इनके बारे में हमारी विचारधारा है क्यों अलग
इन्होंने ही तो आदम को इंसान कर दिया.

कवियों की जिन्दगी की गाथा भी होती अजब निराती है.
जेब में होते हैं पेन, पर पैसों से होती जेब खाली है.

बार--बालाओं पर मरती दुनिया , कवियों की गलियाँ सूली हैं
रोशन होता जिनसे समाज, उनकी अपनी जिन्दगी अधूरी है

कवि जो न होते तो दुनिया हो जाती वीरानी
चाँद की तारीफ़ फिर कौन करता, सौन्दर्य को पूजता फिर कौन

' कल्पनाओं के समंदर में श्रमण पर ले जाता कौंन , चाँद को इस धरती
पर हमसे मिलवाता कौन
.आदर्शों की महफ़िल की हमको सैर करता कौन , इस दुनिया में कौन है

ग़मगीन, सिसकते चरित्रों के जीवन मैं, , खुशियों की ज्योत जलाता
कौन
प्रकृति के इन खूबसूरत नज़रों से हमें मिलाता कौन, धरती--अम्बर

की बातें गा-..गाकर हमें सुनाता कौन
शिक्षा है जीवन गहना , ये मूल्य हमें समझाता कौन

पुष्पों सा खिलते रहना है , ये बात हमें बताता कौन
कवियों के शब्दों और भाषा में होती , अजब रवानी है.

भावनाओं में बह निकले मन, आँखों से बहता पानी है
कवियों की सोच समाज पर , होती अजब निराली है.

'दिखलाते ये सबको आईना , सामाजिक बुराई पर
इनके क्या कहने ,  इनकी सोच अजब निराली है

कवियों की कलम ने कमाल कर दिया.
सामाजिक बुराइयों का काम तमाम कर दिया.

इनके बारे में हमारी विचारधारा है क्यों अलग
इन्होंने ही तो आदम को इंसान कर दिया.





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