Saturday 3 October 2015

आंसुओं की गंगा बह जाने दो , दिल की पीर कम हो जाने दो

आंसुओं की गंगा , बह जाने दो

आंसुओं की गंगा , बह जाने दो
दिल की पीर , कम हो जाने दो

अंकुश न लगाओं , मेरे शब्दों पर
विचारों की गंगा . बह जाने दो

देख रखे थे ख़्वाब , जो मैंने बचपन में
इन ख्वाबों को , साकार हो जाने दो

तिलांजलि दे दी मैंने , कर्महीनता को
अब तो मुझे . कर्मप्रिय हो जाने दो

अनुकरणीय बहुत से चरित्र, हैं इस धरा पर
मुझे भी आदर्शो की , गंगा बहाने दो

बहुत जी लिए मैंने , उतार के क्षण
अब तो मुझे , उत्कर्ष राह पर जानें दो

जीवन भर ढोता रहा. मैं अभाव के क्षण
कुछ पल के लिए मुझे . खुशियों में डूब जाने दो

जी रहा था अभी तक , मैं खुद के लिए
अब तो मुझे दूसरों के लिए , मर जाने दो

बहुत जी लिए मैंने, अंधेरों भरे क्षण
मुझे भी उजालों तले . जीवन पाने दो

जिन्दगी अहं का साथ लिए , गुजरे बरसों
अब तो मुझे स्वाभिमानी , हो जाने दो

इस लोक की हम , बताएं क्या तुम्हें
मेरा भी परलोक . सुधर जाने दो

दुर्गुणों से भरा , जीवन जिया मैंने
अब तो सच की राह पर , बलि  हो जाने दो





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