हे हिमालय
हे हिमालय हे पर्वतों के
राजा
तुम्हारी सीमायें कोई लांघ
न पाता
हे गिरिराज , हे नभराज
तुम्हारी महिमा हर कोई
गाता
हे नगपति , हे पर्वतराज
गंगे ने अस्तित्व तुमसे
पाया
हे नगाधिप , हे हिमाचल
विस्तृत व्यापक तेरा आँचल
हे हिमालय , हे हिम देव
हिम को तुमने मस्तक पर धारा
शिव को हो तुम सबसे प्यारे
विश्व धरा पर सबसे न्यारे
करते रक्षा तुम सीमा की
हे शैलराज , हे पर्वतराज
अम्बुद हिम बरसाए तुम पर
हर्ष से तुम खिल जाते महीधर
ऊंचा रहे मस्तक तुम्हारा
हे सुरसरिता के जीवनदाता
हे हिमालय हे पर्वतों के राजा
तुम्हारी सीमायें कोई लांघ
न पाता
हे गिरिराज , हे नभराज
तुम्हारी महिमा हर कोई
गाता
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