Tuesday, 27 October 2015

आओ पिया मेरे साजन आओ


आओ पिया मेरे साजन आओ

आओ पिया मेरे साजन आओ , इबादत की पिया सरिता बहाओ
अलीम है तू . तुझसे रोशन है जहां , इबादत को जीने का जरिया बनाओ

चश्मों -चिराग हो जाएँ तेरे करम से, इबादत की शम्मा जलाओ
नियें तो एक तेरे नाम से मेरे पिया, इंसानियत की खुशबू महकाओ

काफिये लिख सकूं मैं तेरे हुज्नूर में मेरे मौला. बंदगी की शम्मा जलाओ
खिदमत में बन्दों की गुजरे मेरी सुबह और शाम, ऐसे मेरे भाग्य  जगाओ

गुजारिश तुमसे मेरे पिया मुझे गुमनाम न करना, ख्वाहिशों के गुलिस्तां को महकाओ
गुल्शन का फूल बन उपवन को करूँ रोशन, जन्नत सी मेरी किस्मत सजाओ

ख्वाहिशों की शम्मा रोशन हो मेरे पिया, अपने करम का जलवा दिखाओ
एहसास तेरे नाम का मेरी जिन्दगी को करे रोशन. मुझको इस काबिल्र बनाओ

तेरी इबादत मेरी जिन्दगी का सबब. इबादत की खुशबू से मुझको महकाओ
अपनी आगोश में . अपनी पनाह में ले लो, अपने करम से मेरा आशियों महकाओ

मेरी जायज ख्वाहिशों क्ने अंजाम मिले, अपने करम से मेरी जिन्दगी महकाओ
इस जहां में समी का मुझको प्यार मिल्रे, ऐसे मेरे नसीब जगाओ

जिक्र तेरे करम का क्या करूँ मात्रा. मेरी कलम पर अपनी अता फरमाओ
ठिकाना कर सकूं तेरे दर को अपना, अपने करम से मुझको इस काबिल बनाओ




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