Sunday, 4 October 2015

दो पल की जिन्दगी

दो पल की जिन्दगी , उस आसमां के चाँद
की मानिंद हो जाए
कुछ प्रयास हों हमारे, कुछ उस खुदा का
करम



हम खिलें तो कुछ ऐसे, कि सारा जहां
रोशन हो जाए
कुछ मैं लिखूं , कुछ तुम लिखो ,
दुनिया खुदा के नोम की इबारत हो
जाए



मेरी ख्वाहिश है तू मुझे समझे , अपने
दर कों चिराग
कुछ रोशन हो इबादत मेरी, कुछ तेरे
करम का असर



लोग यूं ही नहीं , तेरे करम के
मौहताज़ ऐ मेरे खुदा
तेरे बन्दों को नेकी की राह और इश्के -
इबादत अता कर मौला

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