फूलों को शाख पर खिलने दो
फूलों को शाख पर खिलने दो
फूलों को खुशबू बिखेरने दो
हवा को मंद मंद बहने दो
सपनों को आसमां छूने दो
फूलों को शाख से न तोड़ो
फूलों की खुशबू से फिज़ां को महकने दो
पवन को प्राणवायु कर दो
जीवन को चहकने दो
सपनों को सीमा में न बांधो
जीवन को उत्कर्ष राह पर बढ़ने दो
आधुनिकता के बंधन में न बंधो
संस्कारों को पुष्पित होने दो
मत छीनो नन्हे हाथों से खिलाँने
ऑगन को नन्है--नन्हे फूलों से महकने दो
क्या हुआ जो न छू पाए आसमां तुम
कोशिशों की नाव पर खुद को उतरने दो
चीरकर हवाओं का सीना
प्रयासों को मंजिल छूने दो
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