Friday, 30 October 2015

खिताबों से मुझको न नवाज़ो यारों

खिताबों से मुझको न नवाजो यारों

खिताबों से मुझको न नवाजो यारों
पलकों पर मुझको न सजाओ यारों

जीतना चाहता हूँ मैं खुद को
अभिमानी मुझको न बनाओ यारों

खिलने दो . फूलों सा महकने दो मुझको
सच की राह से मुझकों न भटकाओ यारों

सद्विचारों की गंगा बहानी है मुझको
फ़लक  से ज़मीं पर मुझको न गिराओ यारों

इम्तिहां जिन्दगी के अभी और हैं बाकी
इमारत आदर्शों की न ढहाओ यारों

इंसानियत की राह पर बढ़ने दो मुझे
इरादे से मेरे मुझको न भटकाओ यारों

उम्मीदों पर सबकी खरा उतरना है मुझको
मंजिल से मुझको न डिगाओ यारों

कायल हूँ मैं उसका , उस पर एतबार है मुझको
खुदा की राह से मुझे न बहकाओ यारों







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