खिताबों से मुझको न नवाजो यारों
खिताबों से मुझको न नवाजो यारों
पलकों पर मुझको न सजाओ यारों
जीतना चाहता हूँ मैं खुद को
अभिमानी मुझको न बनाओ यारों
खिलने दो . फूलों सा महकने दो मुझको
सच की राह से मुझकों न भटकाओ यारों
सद्विचारों की गंगा बहानी है मुझको
फ़लक से ज़मीं पर मुझको न गिराओ यारों
इम्तिहां जिन्दगी के अभी और हैं बाकी
इमारत आदर्शों की न ढहाओ यारों
इंसानियत की राह पर बढ़ने दो मुझे
इरादे से मेरे मुझको न भटकाओ यारों
उम्मीदों पर सबकी खरा उतरना है मुझको
मंजिल से मुझको न डिगाओ यारों
कायल हूँ मैं उसका , उस पर एतबार है मुझको
खुदा की राह से मुझे न बहकाओ यारों
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