Thursday 29 October 2015

प्यार की नज़र से

प्यार की नज़र से

प्यार की नज़र से तुमने जो देखा मुझको , नजरैं सब कुछ बयाँ कर देंगी
छू लिया जो तुमने दुपट्टा मेरा , मेरी साँसें तेरी साँसों का आलिंगन होंगी

मेरी चाहत को तुमने अपनी चाहत समझा , पूरी हो गयी तमन्ना मेरी
इश्क के अंजाम की परवाह नहीं मुझको, इश्क पर कुर्बान जिन्दगी मेरी

इश्क के दुश्मनों से जाकर कह दो. इश्क कायरों की किस्मत में नहीं होता.
होता है इश्क उन मुहब्बत के चाहने वालों को , इकबाल जिनका बुलंद होता

इश्क को खुदा की इबादत समझ जी रहे हैं हम
इश्क गर खुदा न होता, तो खुदा भी खुदा न होता

कायदे इश्क के कुबूल हैं हमें , इबादते--खुदा की मानिंद
किस्मत को न रोते, गर इकबाल मेरा बुलंद होता

वफ़ा की आस में, खिदमते--इश्क कर रहे थे हम,
कुसूर उनका नहीं था, खामोश जुबां ने उनको सहारा जो दिया होता

गवारा है मुझे इश्क का हर उसूल और आकिबत  ( परिणाम )
इश्क में ख्वाहिशों के समंदर का सिरा नहीं होता

अश्फाक ( कृपा) उस खुदा की , जिसने इश्क का आगाज़ किया
गर इश्क इस दुनिया में न होता , ये जहां जीने के काबिल न होता





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