Saturday 12 November 2016

जिन्दगी तुझ पर भरोसा किया हमने

जिन्दगी तुझ पर भरोसा किया हमने

जिन्दगी तुझ पर , भरोसा किया हमने
जाने ये क्या , सिला दिया तूने

सोचते थे , तुझे मना लेंगे
जाने क्यों , ठुकरा दिया तूने

कोशिश थी , अमानत कर लेंगे तुझे
जाने क्यों , पराया कर दिया तूने 

अरमां थे जिन्दगी , तुझको करेंगे रोशन
जाने क्यों , बिसरा दिया तूने

तुझे पलकों पर सजाने की थी , ख्वाहिश मेरी
जाने क्यों खुद को , सजा दी तूने

आगोश में उस ख़ुदा की , बैठने के थे अरमां मेरे
जाने क्‍यों खुद से खुद को , जुदा किया तूने

आब -ए - आईना ( दर्पण की चमक) की तरह , रोशन करना चाहता था तुझे
जाने क्‍यों आबरू , खाक में मिला दी तूने

तेरे आशियाने को जन्नत सा , देखने की थी ख्वाहिश मेरी
जाने क्यों अन्धकार से , रिश्ता बना लिया तूने

जिन्दगी तुझ पर , भरोसा किया हमने
जाने ये क्या , सिला दिया तूने

सोचते थे , तुझे मना लेंगे
जाने क्यों , ठुकरा दिया तूने





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