Sunday, 6 November 2016

उस चिंगारी को दिल में धधकने दो

उस चिंगारी को दिल में धधकने दो

उस चिंगारी को , दिल में धधकने दो
जो रूढ़िवादी विचारों पर , कुठाराघात कर सके

उन सद्विचारों को , दिल में पलने दो
जो कुंठित विचारों से पोषित , चरित्रों का विनाश के सके

उन गलियारों में , अँधेरा पसर जाने दो
जो सुसंस्कृत समाज की , स्थापना में बाधा बने

वर्तमान स्त्री नज़रिए को , बदल जाने दो
जो उसे यातनाओं के दलदल से , निज़ात दिला सके

मिथक और सच्चाई का भेद , खुल जाने दो
जो आँखों पर पड़ी अन्धविश्वास की पट्टी को , उतार कर फेंक सके

अपने सपनों को आसमान की , ऊंचाईयों तक जाने दो
जो तुम्हें , तुम्हारे सपनों को , पूरा करने हेतु प्रेरित कर सके

दो चार सुनामी , और आने दो
जो हमें पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति , प्रतिबद्ध कर सके

धर्म पर पड़ी अधर्म की पड़ी , पट्टी को उतर जाने दो
जो मनुष्य को स्वयं के कल्याण हित , प्रयास करने को विवश कर सके

भोग और आत्म कल्याण का , भेद खुल जाने दो
जो मानव को उसके स्वयं के , उद्धार हेतु दिशा दे सके

धैर्य का बाँध , टूट जाने दो
जो हमें हमारी परेशानियों से , मुक्त कर नवजीवन दे सके

दुर्जनों को सूली पर , चढ़ जाने दो
जो एक स्वस्थ समाज की स्थापना की , परम्परा का आधार
बन सकें

दिलों में संस्कारों की ज्योति , प्रज्जवलित हो जाने दो
जो आने वाली पीढ़ी को सवास्थ समाज की परम्परा को , आगे
ले जाने में उनकी मदद कर सके

आतंक के ठेकेदारों को “सर्जिकल स्ट्राइक” का , शिकार हो जाने दो
जो आतंक का पर्याय हो रहे चरित्रों को , एक सबक दे सके

सामाजिक बुराइयों के प्रतीक , रावण को जल जाने दो
जो सुसंस्कृत एवं संस्कारित , समाज व राष्ट्र की स्थापना का उद्देश्य हो सके

दिलों मैं राष्ट्रीय एकता की भावना का , बिगुल बज जाने दो
जो सीमा के दुश्मनों के लिए सीख हो सके , उनकी दुर्भावनाओं पर अंकुश लगा सके

मानव जगत को संस्कारों व संस्कृति की , धरोहर हो जाने दो
जो इस ज़मीं पर जन्नत का एहसास करा सके . दिलों में
मुहब्बत का आगाज़ कर सके

समय को परिवर्तित , हो जाने दो
जो हमें कलियुग के दलदल से , बाहर ला सके

उस चिंगारी को , दिल में धधकने दो
जो रूढ़िवादी विचारों पर , कुठाराघात कर सके

उन सद्विचारों को , दिल में पलने दो
जो कुंठित विचारों से पोषित , चरित्रों का विनाश के सके










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