Sunday 5 April 2015

शिक्षा जब नैतिकता का परिमाण हो जाए - शिक्षा पर मेरे विचार

१.


शिक्षा जब नैतिकता का परिमाण हो जाए

शिक्षा जब सृजनात्मकता का आधार हो जाए

शिक्षा जब रचनात्मकता का विस्तार हो जाए

समझना शिक्षा स्वयं के अस्तित्व को संजो रही है 

२.

शिक्षा जब नैतिक मूल्यों का विस्तार हो जाए.

 शिक्षा जब संस्कृति व संस्कारों का आधार हो जाए

शिक्षा जब बच्चों को सामाजिकता सिखाये

 समझ लेना शिक्षा अपने पावन उद्देश्य में सफल हो  रही है 

3.

शिक्षा जब इंसानियत की राह दिखाने लगे

शिक्षा जब खुदा की इबादत सी होने लगे

शिक्षा जब जीवन का मर्म समझाने लगे

समझो शिक्षा के केंद्र ,देवालय से सजने लगे हैं

4.


शिक्षा के केंद्र जब समाज सेवा का अर्थ बताने लगें

शिक्षा जब मुक्ति का मार्ग समझाने लगे

शिक्षा जब माँ की लोरियों की तरह पावन होने लगे

समझना माँ शारदे की हम पर असीम कृपा होने लगी है





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