Sunday 5 April 2015

गुबार दिल के सभी दूर हो गए - मुक्तक

१.


गुबार दिल के सभी दूर हो गए 

तेरी बाहों का सहारा मिला जो मुझको 



२.


तेरी आँखों के रास्ते तेरे दिल में उतरने की तमन्ना मेरी 

दो पल के लिए ही सही आँखों में सुरमा तो लगा  

3.


ये गुलशन का कोना - ओना , तेरे हुस्न की खुशबू से महकने लगा 

तुम रोज यूं ही इस गुलशन में आया करो 



4.

मैं तुझे शायरी कहूं या कहू  ग़ज़ल 

तेरे हुस्न ने शायर किया मुझको 


5.

चाँद भी मुस्कुरा रहा है अदाओं पर  तेरी 

हम  मुहब्बत के मारों का ज़रा ख्याल करो 

६.


तेरे इश्क़ ने ग़ालिब लिया मुझको 

तेरी हर एक अदा , एक अलग ग़ज़ल बयाँ करती है 








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