Sunday 5 April 2015

हमने छोड़ा ये जहाँ तेरे इश्क की खातिर



१.

हमने छोड़ा ये जहां , तेरे इश्क़ की खातिर 

मैं चाहता हूँ , मेरा इश्क़ बदनाम न हो 


२.



उसकी बेवफाई ने बहुत ज़ख्म दिए हैं मुझको 

मेरी नासमझी थी , मैं उसे  मुहब्बत का खुदा समझ बैठा 

3.

जाम पर जाम पिए जा रहा है वो 

उसे अपनी मुहब्बत पर शायद एतबार नहीं 


4.

उसकी बेवफाई ने उसे , उसका दीवाना कर दिया 

ऐसी मुहब्बत मेरे खुदा, नसीब हो मुझको 



5.

ग़ज़ल है तू, ,  शायरी जुल्फें तेरी 

दो पल तेरे पहलू में गुजारें हम,  तो जन्नत नसीब हो हमको  





No comments:

Post a Comment