Tuesday, 21 April 2015

किताबों से रिश्ता बनाकर तो देखो - मुक्तक

1.

किताबों से रिश्ता बनाकर तो देखो

ज्ञान के सागर में डुबकी लगाकर तो देखो

माँ शारदे के चरणों में सिर झुकाकर तो देखो

किताबों से रिश्ता बनाकर तो देखो


२.

किसी गिरते राही को उठाकर तो देखो

पालने के बालक को हंसाकर तो देखो

इंसानियत की राहें इतनी भी मुश्किल नहीं हैं

किसी की जिन्दगी बनाकर तो देखो


3.


संघर्षों के दौर से गुजरकर तो देखो 

जीवन की ऊँचाइयों को छूकर तो देखो

इतनी भी मुश्किल नहीं हैं जीवन की राहें

किसी के जीवन के आँगन का फूल बनकर तो देखो


3.

न सूनी - सूनी सी लग रही है फिजां

दो चार फूल खिलाकर तो देखो

निर्जन वन में भटक रहे हो क्यों

 किसी को अपने जीवन में बसाकर तो देखो



5.


किसी रूठते को मनाकर तो देखो 


किसी अजनबी को गले से लगाकर तो  देखो


जीवन सफल हो जाएगा एक दिन


उस प्रभु से रिश्ता बनाकर तो देखो




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