इस दिल को किस तरह से मनाऊँ मैं
जाने जाँ
इस दिल को किस तरह से मनाऊँ मैं
जाने जाँ
मैं जानता हूँ इसके रूठने की वजह
क्या
इसको हुई है तुमसे मुहब्बत मेरी जाँ
इसकी न कोई खता , न तेरे हुस्न की
खता
दिल की बात दिल ही समझे हैं जाने
जाँ
न मेरे बस में है कुछ , न तेरे बस
में जाँ
दिल की हसरत को रोकूँ , तो मैं किस
वजह
जब दिल से दिल को मिल गयी राहत ऐ
जाने जाँ
पागल समझ के लोग पत्थर मुझे मारें
एक तेरी आरज़ू में फिर रहा हूँ मेरी
जाँ
हसरते दिल के आगे किसी की चलती नहीं
अब तुम ही बताओ हम क्या करें मेरी
जाँ
बतायें क्या हाल इस दिल का , कि ये
सुनता नहीं मेरी
कि बतायें हम क्या इसको , क्या ये
सुने मेरी
कि रोकें क्या इसे और क्या , कि
इसको तुम पर मरने दें
कि तेरे चाँद से मुखड़े पर , ये मर
मिटा जानम
इस दिल को किस तरह से मनाऊँ मैं
जाने जाँ
मैं जानता हूँ इसके रूठने की वजह
क्या
इसको हुई है तुमसे मुहब्बत मेरी जाँ
इसकी न कोई खता , न तेरे हुस्न की
खता
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