Wednesday 28 November 2018

मैं अपना सूरज खुद बन


मैं अपना सूरज खुद बन

मैं अपना सूरज खुद बन चमकना चाहता हूँ
अपने हौसलों को अपनी मंजिल का हमसफ़र बनाना चाहता हूँ

क्यों कर मैं दूसरों की बताई राह पर चलूँ
मैं अपनी कलम का एक रोशन आशियाँ बनाना चाहता हूँ

खुद को खो दूं कलम के कैनवास की दुनिया में
मैं खुद को असफलताओं के अभिशाप से  मुक्त कराना चाहता हूँ

ये जिन्दगी का कारवाँ है एक सफ़र, ये जानता हूँ मैं
मैं अपनी कोशिशों को अपनी मंजिल का राजदार बनाना चाहता हूँ

बचपन की वो यादें वो कभी धूप कभी छाँव
मैं उस धुप  - छाँव को अपनी यादें बनाना चाहता हूँ

क्यों कर चाँद की ओर देख ललचाऊँ मैं खुद को
मैं खुद को इस धरा का रोशन चाँद बनाना चाहता हूँ

क्यों कर किसी के सपने को कहूं अपनी जिन्दगी का सच
मैं खुद को अपने सपनों का शहंशाह बनाना चाहता हूँ

किसी को गिराने की फितरत नहीं मेरी, ऊपर उठने के लिए
मैं खुद का अपना आसमां सजाना चाहता हूँ

 मैं अपना सूरज खुद बन चमकना चाहता हूँ
अपने हौसलों को अपनी मंजिल का हमसफ़र बनाना चाहता हूँ

क्यों कर मैं दूसरों की बताई राह पर चलूँ
मैं अपनी कलम का एक रोशन आशियाँ बनाना चाहता हूँ



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