Saturday, 3 November 2018

चाँद की चांदनी सी हो रोशन शख्सियत मेरी


चाँद की चांदनी सी हो रोशन शख्सियत मेरी
चाँद की चांदनी सी रोशन शख्सियत मेरी हो जाए तो अच्छा हो

सूर्य सा तेज , मेरे यौवन की पूँजी हो जाए तो अच्छा हो

कोमल ह्रदय , मधुर वाणी मेरे चरित्र का हिस्सा हो जाए तो अच्छा हो
तुझ पर भरोसा मेरी इबादत का मर्म हो जाए तो अच्छा हो

मेरी कोशिशों पर तेरे करम का साया जो हो जाए तो अच्छा हो
मेरे अरमानों को तेरे करम  का आसमां नसीब हो जाए तो अच्छा हो

मेरे मन मंदिर में मेरेराम तेरा नाम बस जाए तो अच्छा हो
मेरी पीड़ा , मेरे कष्ट तेरे नाम से काफूर हो जाएँ तो अच्छा हो

मेरी जिन्दगी तेरे दर की अमानत हो जाए तो अच्छा हो
अपनी इबादत में मुझको जो तू गिरफ्तार कर ले तो अच्छा हो

 मेरे दिल के उपवन में तेरे नाम के दो चार फूल खिल जाएँ तो अच्छा हो
मेरी आँखों में तेरी छवि का विस्तार जो हो जाए तो अच्छा हो

मेरे हाथ उठें तो बस दुआ में तेरी , ऐसा गर हो जाए तो अच्छा हो
मेरा सर तेरी इबादत में झुके गर ऐसा हो जाए तो अच्छा हो

तेरे करम से मेरा भी अभिनन्दन हो जाए तो अच्छा हो
तेरे करम से मेरी कलम को तारीफ़ का आसमां नसीब हो जाए तो अच्छा हो

द्वारा

अनिल कुमार गुप्ता
पुस्तकालय अध्यक्ष
के वी सुबाथू 

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