Sunday 23 October 2016

नज़र जो बदलोगे, नज़ारे बदल जायेंगे

नज़र जो बदलोगे, तो नज़ारे बदल जायेंगे

नज़र जो बदलोगे, तो नज़ारे बदल जायेंगे
करोगे जो कोशिश, किनारे मिल जायेंगे

निखारोगे जो खुद को, नज़ारे बदल जायेंगे
रहोगे जो आत्मविश्वास से भरपूर, सपने संवर जायेंगे

करोगे जो प्रकृति से प्यार, नज़ारे बदल जायेंगे
रहोगे जो जोश से भरपूर, प्रयास निखर जायेंगे

इबादत से बनाया जो रिश्ता, जेहन बदल जायेंगे
दर्द जो दूसरों का सिया, रिश्ते निखर जायेंगे

गुमसुम जो रहेंगे , गुमनाम हो जायेंगे
कर लेंगे जो खुदा से रिश्ता, जन्नत को गले

ही गर्दिशों से भरे दिन , जो न भूल पायेंगे
बना लिया जो इंसानियत से रिश्ता, रिश्ते बदल जायेंगे

किया जो खुदा पर एतबार, उस खुदा की अमानत हो जायेंगे
करोगे जो खुदा के बन्दों की खिदमत, , जन्नत नसीब हो जायेंगे

'ख्वाहिशों से जो किया किनारा, दर्द कम हो जायेंगे
कलम को किया जो अपने ख्वाबों का हमसफ़र, रोशन इल्म के चराग हो जायेंगे





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