तेरी इबादत की खुशबू से महके मेरी सुबह - शाम
तेरी इबादत की खुशबू से महके
मेरी सुबह - शाम तो अच्छा हो
तेरे क़दमों में मेरी जिन्दगी की सुबह शाम
गुज़र हो तो अच्छा हो
कोशिशें मेरी मकसदे - इंसानियत
हो जाएँ तो अच्छा हो
मेरे मालिक मुझ पर तेरी इनायते - करम
हो जाए तो अच्छा हो
मुझे मेरी वेदनाओं से मुक्ति
मिल जाए तो अच्छा हो
मेरी जिन्दगी का मकसद
मकसदे - खुदाई , हो जाए तो अच्छा हो
मैं उस खुदा के दर का कारिंदा
हो जाऊं तो अच्छा हो
चलें मेरे कदम उस खुदा की राह पर
तो अच्छा हो
मेरी कलम का जादू चारों दिशाओं में
रोशन हो जाए तो अच्छा हो
मेरी सरकार मेरी जिन्दगी तेरी अमानत
हो जाए तो अच्छा हो
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