Wednesday 19 October 2016

रोशन हो जाए ये ज़मीं, रोशन हो जाए आसमां


रोशन हो जाए ये ज़मीं , रोशन हो जाए आसमां

रोशन हो जाए ये ज़मीं, रोशन हो जाए आसमां
मानवता हो शर्मिंदा यहाँ, रोशन हों दिल सबके यहाँ

मैं खिलाना चाहता हूँ , एक उपवन मुहब्बत का यहाँ
कोई हो तनहा यहाँ, रोशन हों सबके अरमां

दिल में बसे ,हर एक के खुदा, इबादत हो सबका मजहब यहाँ
पीरों के दर हों रोशन यहाँ, इंसानियत रहे ज़िंदा यहाँ

आँचल में सबके हों खुशियाँ, ये धरती हो गुलशन यहाँ
उस खुदा का करम नसीब हो सबको, इंसानियत रहे जिन्दा यहाँ

उस खुदा पर हो एतबार सबको, उम्मीदें सबकी रोशन हों यहाँ
तेरे आँचल का मिले सहारा खुदा, अरमां सभी के गुलज़ार हों यहाँ

मेरी आरज़ू मेरे खुदा, हर शख्स तेरा नूर बन महके यहाँ
आफतों का कोई दौर हो, आशयां हों सभी के रोशन यहाँ

आदमियत हो जिन्दगी का मकसद , आजमाइशों से कोई गुज़रे यहाँ
चंद ख़्वाब लेकर सब जियें, भागदौड़ का हो आलम यहाँ

आफताब सा रोशन हो हर एक शख्स मौला, इश्क हो मजहब यहाँ
आशिक बना सबको अपना मेरे खुदा, मुहब्बत मकसदे  - इबादत हो यहाँ

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