विचारों की कलम से रोशन, साहित्य का संसार हो जाने दो
जाग उठें सामाजिक विषय ,
बुराइयों का अंत हो जाने दो
जाग उठें सामाजिक विषय ,
बुराइयों का अंत हो जाने दो
जिन्दगी ख़त्म होने की राह पर हो अगर,
आस के दीपक को बुझने न देना
ये जिन्दगी है आँधियों का सा सफ़र ,
अपने आत्म विश्वास की लौ को बुझने न देना
आस के दीपक को बुझने न देना
ये जिन्दगी है आँधियों का सा सफ़र ,
अपने आत्म विश्वास की लौ को बुझने न देना
चंद
मुसीबतों को न समझ लेना अपनी जिन्दगी का अंत
कर बुलंद खुद को और कर
अपने प्रयासों पर यकीन
कर बुलंद खुद को और कर
अपने प्रयासों पर यकीन
किताबों
ने किये
करोड़ों दिल रोशन
चलो कुछ किताबें और पढ़ें
और बढ़ चलें उजाले की ओर
करोड़ों दिल रोशन
चलो कुछ किताबें और पढ़ें
और बढ़ चलें उजाले की ओर
जिन्दगी
को संभालकर रखो
एक दीपक की तरह
किसी की स्याह जिन्दगी में
उजाला कर सके एक दिन
एक दीपक की तरह
किसी की स्याह जिन्दगी में
उजाला कर सके एक दिन
मुफ़लिसी
का दौर भी
क्या दौर - ए - जिन्दगी
कभी मिली दो रोटी
कभी फांके हुए नसीब
क्या दौर - ए - जिन्दगी
कभी मिली दो रोटी
कभी फांके हुए नसीब
कल्पनाओं
के समंदर से खुद को, मुक्त कर के
देख
सच के सागर में उतर, एक नया जहाँ बसा के देख
सुरसरि सा हो पावन, अंतर्मन जगा के देख
उत्कर्ष को तू कर ले मंजिल ,कर्म को जीवन बना के देख
सच के सागर में उतर, एक नया जहाँ बसा के देख
सुरसरि सा हो पावन, अंतर्मन जगा के देख
उत्कर्ष को तू कर ले मंजिल ,कर्म को जीवन बना के देख
अहं
को छोड़कर तू, स्वाभिमान से रिश्ता बना के देख
कामनाओं में न फंस तू, जीवन से रिश्ता बना के देख
आवेश में न उबल तू, संयम से रिश्ता बना के देख
परछाइयों के पीछे न भाग, सच के आईने से नज़रें मिला के देख
कामनाओं में न फंस तू, जीवन से रिश्ता बना के देख
आवेश में न उबल तू, संयम से रिश्ता बना के देख
परछाइयों के पीछे न भाग, सच के आईने से नज़रें मिला के देख
विलासिता
में न उलझ, खुद को दिलासा दे के देख
संतोष को कर जीवन का गहना, तूफ़ान से खुद को बचा के देख
दयालु है वो कृपालु, उसकी शरण में आ के देख
मुक्ति की तू कर कामना, वेदनाओं को भुला के देख
संतोष को कर जीवन का गहना, तूफ़ान से खुद को बचा के देख
दयालु है वो कृपालु, उसकी शरण में आ के देख
मुक्ति की तू कर कामना, वेदनाओं को भुला के देख
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