Tuesday, 25 October 2016

सितारों को रोशन होने दो

सितारों को रोशन होने दो

सितारों को रोशन होने दो
चाँद को चांदनी बिखेरने दो

सरिता को पावन हो बहने दो
पक्षियों को गुनगुनाने दो

'पुष्पों को कुसुमित होने दो
'हबाओं को खुशबू का समंदर हो जाने दो

बचपन को खिल जाने दो.
इस उपवन को महक जाने दो

हिमालय का सीना चौड़ा हो जाने दो.
पुस्तकों को ज्ञान के भण्डार से  जाने दो

आंसुओं को बह जाने दो
दिल की पीर दिख जाने दो

गम को सीने से न लगाकर रखो
गुमों को आंसू बन बह जाने दो

मंगल सक्षी प्रयास हो जाने दो
मंजिलों पर कदम पड़ जाने दो

पावन सभी के विचार हो जाने दो
पावन संस्कारों की गंगा बह जाने दो

क्यूं न करें हम इस जीवन से मुहब्बत
इस दुनिया को मुहब्बत का समंदर हो जाने दो



तेरी इबादत की खुशबू से

तेरी  इबादत की खुशबू से महके मेरी सुबह - शाम

तेरी इबादत की खुशबू से महके 
मेरी सुबह - शाम तो अच्छा हो

तेरे क़दमों में मेरी जिन्दगी की सुबह शाम 
गुज़र हो तो अच्छा हो

कोशिशें मेरी मकसदे - इंसानियत 
 हो जाएँ तो अच्छा हो

मेरे मालिक मुझ पर तेरी इनायते - करम
 हो जाए तो अच्छा हो

मुझे मेरी वेदनाओं से मुक्ति 
 मिल जाए तो अच्छा हो

मेरी जिन्दगी का मकसद 
 मकसदे - खुदाई , हो जाए तो अच्छा हो

मैं उस खुदा के दर का कारिंदा 
 हो जाऊं तो अच्छा हो

चलें मेरे कदम उस खुदा की राह पर 
तो अच्छा हो

मेरी कलम का जादू चारों दिशाओं में 
 रोशन हो जाए तो अच्छा हो

मेरी सरकार मेरी जिन्दगी तेरी अमानत 
हो जाए तो अच्छा हो




Sunday, 23 October 2016

नज़र जो बदलोगे, नज़ारे बदल जायेंगे

नज़र जो बदलोगे, तो नज़ारे बदल जायेंगे

नज़र जो बदलोगे, तो नज़ारे बदल जायेंगे
करोगे जो कोशिश, किनारे मिल जायेंगे

निखारोगे जो खुद को, नज़ारे बदल जायेंगे
रहोगे जो आत्मविश्वास से भरपूर, सपने संवर जायेंगे

करोगे जो प्रकृति से प्यार, नज़ारे बदल जायेंगे
रहोगे जो जोश से भरपूर, प्रयास निखर जायेंगे

इबादत से बनाया जो रिश्ता, जेहन बदल जायेंगे
दर्द जो दूसरों का सिया, रिश्ते निखर जायेंगे

गुमसुम जो रहेंगे , गुमनाम हो जायेंगे
कर लेंगे जो खुदा से रिश्ता, जन्नत को गले

ही गर्दिशों से भरे दिन , जो न भूल पायेंगे
बना लिया जो इंसानियत से रिश्ता, रिश्ते बदल जायेंगे

किया जो खुदा पर एतबार, उस खुदा की अमानत हो जायेंगे
करोगे जो खुदा के बन्दों की खिदमत, , जन्नत नसीब हो जायेंगे

'ख्वाहिशों से जो किया किनारा, दर्द कम हो जायेंगे
कलम को किया जो अपने ख्वाबों का हमसफ़र, रोशन इल्म के चराग हो जायेंगे





आवाजों की इस भीड़ में संवाद करूँ तो करूँ कैसे

आवाजों की भीड़ में , संवाद की तलाश करूँ तो करूँ कैसे

आवाजों की भीड़ में, संवादों की तलाश करूँ तो करूँ कैसे
जी रहे हैं जो उपेक्षित से, उनसे जीवन की आस करूँ तो करूँ कैसे

आत्मा से जो अन्धविश्वासी हैं , उनसे धर्म स्थापना की आस करूँ तो करूँ कैसे
अहंकार व अभिमान में जी रहे हैं जो, उनसे मानवता की राह पर चलने की बात
करूँ तो करूँ कैसे

जी रहे हैं जो एकाकी सा जीवन, उनसे रिश्तों की बात करूँ तो करूँ कैसे
जिनके दिलों में हौसला नहीं, उनसे देश पर मर मिटने की बात करूँ तो करूँ कैसे

बिता दी जिन्होंने अय्याशी मैं जिन्दगी अपनी, उनसे सामाजिकता की उम्मीद
करूँ तो करूँ कैसे
चंद सिक्कों पर लुटा दी जिन्होंने जिन्दगी अपनी, उनसे देश प्रेम की आस करूँ
तो करूँ कैसे

पी रहे हैं जो वक़्त - बेवक्त  , उन्हें होश में लाने की कोशिश करेंर तो करूँ कैसे
आदमियत जिनकी जिन्दगी का हिस्सा नहीं, उन्हें मैं धर्म की राह दिखाने की
कोशिश करूँ तो करूँ कैसे



Saturday, 22 October 2016

आस का पंछी, तू उड़ चला है कहाँ

आस का पंछी , तू उड़ चला है कहाँ

आस का पंछी , तू उड़ चला है कहाँ
मेरा मन तुझको ढूँढता है , यह से वहां

कई ख़वाब , मेरी निगाहों के गवाह हुए
आस का पंछी चुराकर ले गया , न जाने कहाँ 

मेरे प्रयासों के समंदर मैं था ,पानी बहुत
जाने क्या हुआ आस के पंछी को , किनारा न मिला

मेरी कोशिशें न जाने , क्‍यों नाकाम हुईं
जाने किसी की काली नज़रों का , असर जो हुआ

आस के पंछी के ख़वाबों की , कोई सीमा न थी.
जाने क्यों आस के पंछी के रूवाबों को , किनारा न मिला

'बिखरे - बिखरे स्वप्न हुए , आस के पंछी के ख़्वाब 
न जाने किसकी नजर का ये , इशारा हुआ

पाक दामन लिए आस के पंछी को , पाला मैंने
किस्सा होकर रह गए , मेरे सभी प्रयास

आस का पंछी तड़पता रहा , यहाँ और वहां
कोई तो आस जगाओ , मैरे आस के पंछी के दिल में

कोई तो राह दिखाओ , मेरे आस के पंछी को
आस का पंछी , तू उड़ चला है कहाँ

आस का पंछी , तू उड़ चला है कहाँ
मेरा मन तुझको ढूँढता है , यह से वहां

कई ख़वाब , मेरी निगाहों के गवाह हुए
आस का पंछी चुराकर ले गया , न जाने कहाँ 



Friday, 21 October 2016

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें


हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जब अभिलाषा के सागर में डूबे , तब सत्मार्ग को भूल गए , ये हम जानें
जब डूबे विलासिता के समंदर में, तब चरित्र खोया और चैन गया, ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जब रिश्तों की नैया डूबी, तब तार तार हुए रिश्ते ,ये हम जानें
जब गिरे और फिर उठे नहीं, तब असफलता का चरम हुए, ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जब फूलों से खुशबू छीनी, तब फूलों से रिश्ता खोया , ये हम जानें
जब कोमल तन को मसला, तब चरित्र को अपने गँवा दिया , ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जब मानवता बिखरी  - बिखरी , तब खोया हमने बहुत  - बहुत , ये हम जानें
जब विश्वास की पावन माला बिखरी, तब विश्वास की पावनता खोयी, ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जब प्रकृति का हुआ आँचल मैला, तब हम पर क्या गुजरी, ये हम जानें
जब गंगा की निर्मलता रोई, तब पावनता की सीमा रोई, ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जब देवालयों की पावनता सिमटी, तब धर्म पर कुठाराघात हुआ, ये हम जानें
 संस्कारों की माला बिखरी, तब सामाजिकता भी बिखर गयी, ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जब आतंक ने पाँव पसारे, तब मानवता आंसू रोई, ये हम जानें
जब सीमाओं पर सीमा टूटी , तब रिश्तों का खून हुआ , ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जब मामा , चाचा कंस हुए , तब रिश्ते तारतार हुए , ये हम जानें
जब शिक्षक ने सीमा तोड़ी, तब सामाजिकता का खून हुआ, ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जब टी वी पाया , खुदा को खोया, ये हम जानें
मोबाइल मिला तो चैन गया, ये हम जाने

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जब इन्टरनेट को पाया, तब संस्कृतिसंस्कार सब खोये, ये हम जानें
FB, Whatsapp, twitter जब सर चढ़कर बोले, तब नींद गयी और चैन गया, ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

 इस देश के जब दो टुकड़े हुए, तब क्या खोया , ये हम जानें
जब इंसानियत तारतार हुई , तब क्या खोया , ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जब वीरों ने सब कुछ खोया, तब क्या पाया , ये हम जानें
जब गाँधी की गांधीगिरी चली, तब क्या पाया , ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जब लक्ष्मी , दुर्गावती देश हित लड़ीं , तब क्या पाया , ये हम जानें
जब भगत सिंह, बिस्मिल, सुखदेव शहीद हुए , तब क्या पाया , ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जबकलाम मिसाइल मैन हुए , तब क्या पाया , ये हम जानें
जब हिंदी साहित्य समृद्ध हुआ, तब क्या पाया, ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें

जबसचिनसितारे बन चमके , तब क्या पाया, ये हम जानें
जब सायना/ साइना ने देश का परचम लहराया , तब क्या पाया , ये हम जानें

हमने क्या खोया और क्या पाया , ये हम जानें