Monday 18 April 2016

सिसकती साँसों का व्यापार न कर

सिसकती साँसों का व्यापार न कर

सिसकती सांसों का व्यापार न कर
गमगीनों को तू और गमसार न कर

एतबार किये बैठे हैं जो तुझ पर  
उनके विश्वास को तू तार-तार न कर

बेचैन सॉसों के साथ जी रहे हैं वो
उनकी बेचैन जिंदगी को और बेचैन न कर

'बेक़सूर हैं वो उन्हें तुझ पर है यकीन
उनके इस यकीन को तू तार-तार न कर.

बेसुध से धो रहे हैं वो खुद को
'बदनसीब कह उनको रुसवा न कर

बंदगी उनका ईमान हो जाए.
इतना तो उन पर करम कर

आदिल कर तू उनको अपना बना
इश्क़े -इबादत उनकी जागीर कर

बदनसीब हैं वो , कया यहीं कम हैं
उनका दामन खुशियों से भर

जिंदगी के अँधेरे साथ लिए जी रहे हैं वो
उनका आशियों भी जन्नत सा रौशन कर

उन्हें मुहब्बत है तुझसे, ये इज़हार करें भी तो कैसे
कोई तरकीब मेरे मौला , उनको भी अता कर.



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