Tuesday, 21 April 2015

जब आगंतुक का सम्मान होने लगे - मुक्तक

१.

जब आगंतुक का सम्मान होने लेगे
जब याचक अन्न पाने लगें

जब धर्म का विस्तार होने लगे
समझो सामाजिकता विकसित होने लगी है


२.

जब हम अभिमान त्यागें
तब हम सम्मान पायें

जब हम क्रोध पर विजय पायें
तब हम परमेश्वर को पायें


3.

जब हमारी आकांक्षायें शांत हो जाएँ
जब हमारी कोमल भावनाएं हो जाएँ

जब हम मानवता के पुजारी हो जाएँ
हम समझें कि परमेश्वर की कृपा के हम धनी हैं


4.

जब अतिथि सत्कार होने लगे
जब गरीबों पर दया की जाने लगे

जब भिक्षुक भोजन पाने लगें
समझो मानवता अपने शिखर पर है


5.

जब अतिथि सत्कार होने लगे
जब गरीबों पर दया की जाने लगे

जब भिक्षुक भोजन पाने लगें
समझो मानवता अपने शिखर पर है




इन्द्रियों पर वश हो तेरा

१.


इन्द्रियों पर वश हो तेरा
तेरा सब अनुसरण करें ऐसा कद हो तेरा

जिसकी कल्पना न की हो किसी ने
ऐसा अलौकिक , अद्वितीय  व्यक्तित्व हो तेरा 

२.

सूरज सा तेज  , चाँद सी चांदनी दे दे 
हो सके तो  मेरे खुदा मुझे भी जिंदगानी दे दे 

कि पल रहे हैं सभी तेरे करम से 
मुझे भी इबादते - जिंदगानी दे दे 


3.


जब कालिंदी पवित्र नाद करने लगे
जब धरती हरियाली का आचमन करने लगे

जब प्राणवायु में खुशबू बहने लगे
समझो प्रकृति प्रसन्नता व्यक्त कर रही है



4.

जब युवा पीढ़ी संस्कारित होने लगे
घर -घर शंखनाद बजने लगे

जब देवालयों में श्रद्धालु आने लगें
समझो संस्कार पल्लवित  होने लेगे हैं


5.

सरिता जब अपनी मस्त चाल में झूमने लगे
गिरि जब छाती चौड़ी कर गर्व महसूस करने लगें

जब कानन जीवों की हुंकार से भरने लगें
समझो प्रकृति प्रेम चरम पर है






किसी की चाहत में खुद को भुलाकर तो देखो - मुक्तक

१.


किसी की चाहत में खुद को भुलाकर तो देखो 

 किसी को मुहब्बत का खुदा बनाकर तो देखो  


इश्क इन्सान को भगवान्‌ बना देता है 

किसी हसीना से दिल लगाकर तो देखो


२.

पुस्तकों से नाता बनाकर तो देखो

चार कदम ज्ञान की राह पर जाकर तो देखो

ज्ञान इंसान को भगवान्‌ बना देता है

किताबों से दिल लगाकर तो देखो 

3.

अपने अरमानों को पंख लगाकर तो देखो

अपने सपनों को आसमान तक ले जाकर तो देखो

पूरे होते हैं ख़वाब इस जहां में ही

अपने ख़्वाबों को खुदा की इबादतगाह तक ले जाकर तो देखो




4.

गर्दिश में कोई राह खोजकर तो देखो

मुसीबत में सच का सहारा लेकर तो देखो

यूं ही नहीं फूल खिलते चमन में

उस खुदा के दर का नज़ारा करके तो देखो




किताबों से रिश्ता बनाकर तो देखो - मुक्तक

1.

किताबों से रिश्ता बनाकर तो देखो

ज्ञान के सागर में डुबकी लगाकर तो देखो

माँ शारदे के चरणों में सिर झुकाकर तो देखो

किताबों से रिश्ता बनाकर तो देखो


२.

किसी गिरते राही को उठाकर तो देखो

पालने के बालक को हंसाकर तो देखो

इंसानियत की राहें इतनी भी मुश्किल नहीं हैं

किसी की जिन्दगी बनाकर तो देखो


3.


संघर्षों के दौर से गुजरकर तो देखो 

जीवन की ऊँचाइयों को छूकर तो देखो

इतनी भी मुश्किल नहीं हैं जीवन की राहें

किसी के जीवन के आँगन का फूल बनकर तो देखो


3.

न सूनी - सूनी सी लग रही है फिजां

दो चार फूल खिलाकर तो देखो

निर्जन वन में भटक रहे हो क्यों

 किसी को अपने जीवन में बसाकर तो देखो



5.


किसी रूठते को मनाकर तो देखो 


किसी अजनबी को गले से लगाकर तो  देखो


जीवन सफल हो जाएगा एक दिन


उस प्रभु से रिश्ता बनाकर तो देखो




Tuesday, 7 April 2015

जब भी तेरी यादों में खोया तेरा ज़िक्र हो आया व अन्य मुक्तक

१.

जब भी तेरी  यादों में खोया , तेरा जिक्र हो आया 

ये एहसासे - मुहब्बत भी क्या चीज है सनम

२.


जब भी तेरे ख्यालों में खोया , तुझको करीब पाया

तसव्वुर  में ही सही , एक बार आकर तो  मिल 


3.


जहाँ भी देखूं बस तू ही तू नज़र आती है

 इस दिल को मनाने के लिए यह ख्याल काफी है 


4.


तू जहां भी रहे  मेरे दिल में बसर करती है

तेरी यादों के सहारे ही जी रहा हूँ मैं


5.


दिल को तेरे प्यार का सहारा जो मिले

राहों में चाँद - तारों को बिखेर दूंगा


६.


अलफ़ाज़ प्यार के जो तूने मुहब्बत में कहे मुझको

खुदा कसम आँखों पर बिठा कर रखता तुझको


7.


तुझको मुहब्बत का खुदा समझा जानम

तुम हो तुम्हें मेरी मुहब्बत की कद्र नहीं

8.

की हद तक है मैंने तुझको प्यार किया

आज भी मैं तेरा इंतज़ार कर रहा हूँ ए  सनम






तेरे प्यार ने मेरी जिन्दगी को मायने दिए एवं कुछ अन्य मुक्तक

१.

तेरे प्यार ने मेरी जिन्दगी को मायने दिए

म् 'पूछ तूने क्या - कया नज़ारे दिए

मेरी किस्मत में तेरा प्यार था या नहीं , मुझे मालूम नहीं

तेरी चाहत ने इस दिल को तराने दिए

२.


मुहब्बत को तराशने में तूने ज़माने लगा दिए

मेरे हमदम ये मुहब्बत है कोई खेल नहीं




3.


चाहत  में उनकी हमने ,खुद को फना किया

मुहब्बत में कुर्बानी , उसूल हमारा है


4.


क़दमों में दिल बिछा दिया है हमने

तू सीने से लगा या कदमों में रौंद दे मर्जी तेरी 


5.

दी मुहब्बत की किताब के पन्ने कोरे थे

तेरी मुहब्बत ने इश्क की इबारत दी उसमे


६.


किनारा मुझको भी नसीब होगा हमको नहीं था मालूम

तेरे क़दमों की आहट ने मुझे किनारों से मिला दिया



7.



है पा सके फिर भी , बहुत कुछ पा लिया जानम

इंतजार में जो मज़ा है , वो तुझे पाने की आरज़ू में नहीं



8.


जादू  तेरी आँखों का मेरे दिल में घर कर गया

उम्मीद  इस दिल को एहसासे  - मुहब्बत न थी






Monday, 6 April 2015

श्यामल रूप सलोना रे कान्हा श्यामल रूप सलोना

श्यामल रूप सलोना रे कान्हा श्यामल रूप सलोना

श्यामल रूप सलोना रे कान्हा श्यामल रूप सलोना
जामुन तीर गउओं संग डोले ,छेड़े गोपियाँ को कान्हा

रे कान्हा श्यामल रूप सलोना रे कान्हा श्यामल रूप सलोना

तुमसो कोई प्यारो नहीं मोहे , भक्ति को रस पीना
रे कान्हा श्यामल रूप सलोना रे कान्हा श्यामल रूप सलोना

माखन तोको खूबई भाये , मोर मुकुट सो कोई न
रे कान्हा श्यामल रूप सलोना रे कान्हा श्यामल रूप सलोना

बेसुध है मन मेरो कान्हा , तोरे चरणन में आकर
मन को मेरे शीतलता दे  दो , हे मनमोहन हे कान्हा

रे कान्हा श्यामल रूप सलोना रे कान्हा श्यामल रूप सलोना

भिक्षुक बन आये तेरे द्वारे , झोली भर दो हे गिरिधारी
भूखा हूँ मुझे भोजन दे दो , चरणन में लो कान्हा

रे कान्हा श्यामल रूप सलोना रे कान्हा श्यामल रूप सलोना

पावन कर दो काय मेरी , मन को कर दो अति पावन
जन्म मरण से पीछा छूटे , मोक्ष राह लो कान्हा

रे कान्हा श्यामल रूप सलोना रे कान्हा श्यामल रूप सलोना

सरिता सा पावन हो जीवन , भक्ति का वर दो गिरिधारी
भक्ति रस में डूबे जीवन , सेवक धर हे कान्हा

रे कान्हा श्यामल रूप सलोना रे कान्हा श्यामल रूप सलोना

चंचल मन को बस में कर दो , भाग्य सजाओ कान्हा
महिमा तेरी हर पल गाऊँ , ऐसा वर दो कान्हा

रे कान्हा श्यामल रूप सलोना रे कान्हा श्यामल रूप सलोना


इस दिल को किस तरह से मनाऊँ मैं जाने जाँ

इस दिल को किस तरह से मनाऊँ मैं जाने जाँ

इस दिल को किस तरह से मनाऊँ मैं जाने जाँ
मैं जानता हूँ इसके रूठने की वजह क्या
इसको हुई है तुमसे मुहब्बत मेरी जाँ
इसकी न कोई खता , न तेरे हुस्न की खता

दिल की बात दिल ही समझे हैं जाने जाँ
न मेरे बस में है कुछ , न तेरे बस में जाँ
दिल की हसरत को रोकूँ , तो मैं किस वजह
जब दिल से दिल को मिल गयी राहत ऐ जाने जाँ

पागल समझ के लोग पत्थर मुझे मारें
एक तेरी आरज़ू में फिर रहा हूँ मेरी जाँ
हसरते दिल के आगे किसी की चलती नहीं
अब तुम ही बताओ हम क्या करें मेरी जाँ

बतायें क्या हाल इस दिल का , कि ये सुनता नहीं मेरी
कि बतायें हम क्या इसको , क्या ये सुने मेरी
कि रोकें क्या इसे और क्या , कि इसको तुम पर मरने दें
कि तेरे चाँद से मुखड़े पर , ये मर मिटा जानम

इस दिल को किस तरह से मनाऊँ मैं जाने जाँ
मैं जानता हूँ इसके रूठने की वजह क्या
इसको हुई है तुमसे मुहब्बत मेरी जाँ
इसकी न कोई खता , न तेरे हुस्न की खता


सत्य राह पर चलना तुझको

सत्य राह पर चलना तुझको

सत्य राह पर चलना तुझको
तूफानों से लड़ना तुझको
कठिन डगर कितनी भी हो
मंजिल पर आंखें रखना तुझको

बलशाली होना है तुझको
देश राह पर चलना तुझको
बंटवारे से क्या लेना तुझको
सबसे मिलजुल रहना तुझको

मंगल काज करने हैं तुझको
मानवता राह वरना है तुझको
ह्रदय से पावन होना तुझको
नेक राह पर चलना तुझको

मर्यादित हो जीवन तेरा
अहंकार से बचना तुझको
मायाजाल से बचना तुझको
संस्कार वरना है तुझको

अद्भुत हो छवि तुम्हारी
मोक्ष मार्ग पर जाना तुझको
आदर्शों से नाता तेरा
कर्म राह पर जाना तुझको

सफल सभी प्रयास हों तेरे
मंजिल को पाना है तुझको
सरिता से पावन विचार हों 
संस्कारी होना है तुझको

मायामोह न तुझको घेरे
अभिलाषी नहीं होना है तुझको
तेजस्वी हो रूप तुम्हारा
सत्कर्म राह पर बढ़ना तुझको

नैतिकता से नाता तेरा हो
उपकार सभी पर करना तुझको
अवगुण तुझको कभी न घेरे
सदाचरण करना है तुझको

अभिमानी नहीं होना तुझको
उत्कर्ष राह पर बढ़ना तुझको
खुद को सफल करना है तुझको
उन्नति मार्ग पर चलना है तुझको

सत्य राह पर चलना तुझको
तूफानों से लड़ना तुझको
कठिन डगर कितनी भी हो

मंजिल पर आंखें रखना तुझको 

समय की गति को तुम पहचानो

समय की गति को तुम पहचानो

समय की गति को तुम पहचानो
समय की महिमा को तुम जानो
समय की धरा कभी न रूकती
समय की गरिमा को तुम जानो

समय न देखे राजा - रंक
समय न देखे ऊँच – नीच
समय की अपनी सोच समझ है
जैसा तेरा कर्म , वैसी समय की प्रीत

समय का वंदन , तेरा अभिनन्दन
समय की महिमा का हो वंदन
समय की सीमा को पहचानो
अपनी मर्यादा को तुम जानो

जीवन में नीरसता त्यागो
समय को अपना सब कुछ मानो
कर्म महान , तो समय महान
रखो इसका हर पल ज्ञान

समय की सहृदयता को पहचानो
समय की चपलता को तुम जानो
समय जो रूठे , सब कुछ छूटे
मानव मन की दुर्बलता  जानो

जीवन की आस्तिकता को पहचानो
संस्कारों की महिमा जानो
जीवन के तुम मर्म को जानो
समय की महिमा को पहचानो