स्वच्छ सभी के विचार जो हो जाएँ
स्वच्छ सभी के विचार जो
हो जाएँ
संस्कार सभी में
पल्लवित जो हो जाएँ
संस्कृति के प्रति
आस्था सभी में जागृत जो हो जाए
समझो मानव अभिनन्दन
मार्ग की और प्रस्थित है
आकांक्षाओं पर जो सभी
अंकुश लगाने लगें
विलासिता से जो सभी दूर
जाने लगें
सत्य राह जो सभी अपनाने
लगें
समझो मानव , संस्कारों
का ज्योति पुंज हो गया है
दूरदर्शी जो प्रयास
होने लगें
अतुलनीय विचार जो होने
लगें
संस्कारों के सभी ओर
मेले जो लगने लगें
समझो मानव उज्जवल
भविष्य की और अग्रसर है
सार्थक जो कल्पनाएँ
होने लगें
सुविचारों की गंगा जो
बहने लगे
परोपकारी जो भाव होने
लगें
समझो मानव अपने मानव
धर्म को प्राप्त करने लगा है
No comments:
Post a Comment