Tuesday, 16 September 2014

स्वच्छ सभी के विचार जो हो जाएँ

स्वच्छ सभी के विचार जो हो जाएँ

स्वच्छ सभी के विचार जो हो जाएँ
संस्कार सभी में पल्लवित जो हो जाएँ
संस्कृति के प्रति आस्था सभी में जागृत जो हो जाए
समझो मानव अभिनन्दन मार्ग की और प्रस्थित है

आकांक्षाओं पर जो सभी अंकुश लगाने लगें
विलासिता से जो सभी दूर जाने लगें
सत्य राह जो सभी अपनाने लगें
समझो मानव , संस्कारों का ज्योति पुंज हो गया है

दूरदर्शी जो प्रयास होने लगें
अतुलनीय विचार जो होने लगें
संस्कारों के सभी ओर मेले जो लगने लगें
समझो मानव उज्जवल भविष्य की और अग्रसर है

सार्थक जो कल्पनाएँ होने लगें
सुविचारों की गंगा जो बहने लगे
परोपकारी जो भाव होने लगें
समझो मानव अपने मानव धर्म को प्राप्त करने लगा है


No comments:

Post a Comment