Saturday, 6 September 2014

पलकों में बिठाकर तुझको

पलकों में बिठाकर तुझको

पलकों में बिठाकर तुझको , सीने से लगाकर तुझको
ए मेरी जान प्यार करूंगा, दिल में सजाकर तुझको

तू मेरी आँखों का नूर है जानम
तू मेरे दिल का शुरूर है जानम

तेरे रूप की मादकता ,लुभाती है मुझको
में अपनी बाहों में ,समाना चाहता हूँ तुझको

लोग क्यूं ना करें ,तेरे हुस्न की चर्चा
ख़ास वक़्त में खुदा ने ,तराशा है तुझको

पलकें बिछा इंतज़ार ,कर रहा हूँ तेरा
अक्सर सपनों में अपने करीब ,पाया है तुझको

तू दो कदम जो चले ,तो दिल की धडकनें बढ़ जाती हैं
हमेशा ही दिल के करीब ,महसूस किया है तुझको

तेरा दीदार मुझको ,चैन देता है ए जानम
अक्सर दिल के करीब ,मैंने पाया है तुझको

ए ख़्वाबों की मल्लिका , हुस्न की देवी
तेरे इश्क़ के समंदर में ,डुबोया है खुद को

पलकों में बिठाकर तुझको , सीने से लगाकर तुझको
ए मेरी जान प्यार करूंगा ,दिल में सजाकर तुझको


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