Saturday, 6 September 2014

काश तुमने मुझे कुछ वक़्त दिया होता

काश तुमने मुझे कुछ वक़्त दिया होता

काश तुमने मुझे कुछ वक़्त दिया होता
मैं कुछ आदर्श चरित्रों का निर्माण कर पाता

काश तुमने मुझे लेखनी की रागिनी प्रदान की होती
मैं कुछ संस्कारों व सद्विचारों की रचना कर पाता

काश तुमने मुझे माँ शारदे की शरण में भेजा होता
मैं भी माँ के आशीर्वचन से ज्ञान की गंगा बहा पाता

काश तुम मुझे सत्मार्ग की और मुखरित करते
मैं धरा पर सद्चारित्रों को विकसित करता

काश तुमने मुझे गंगा के पावन जल से आचमन कराया होता
मैं पावन विचारों की गंगा बहाता , संस्कृति व संस्कारों को पल्लवित करता

काश मुझे माँ के आँचल का सहारा मिला होता
मैं भी माँ की लोरियों का आचमन करता ,   मातृ ऋणसे पुष्पित होता

काश तुमने मुझे ज़मीं पर तारा बनाकर भेजा होता
मैं भी धरा को तारों के समंदर में नहलाता

काश तुमने मुझे आध्यात्मिकता प्रदान की होती
मैं भी मोक्ष मार्ग प्रस्थित होता और हे परमेश्वर मैं तेरी गोद में खेल रहा होता



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