Tuesday, 16 September 2014

मेरा दिल नादान है क्यों

मेरा दिल नादान है क्यों

मेरा दिल नादान है क्यों
बेवजह बदनाम है क्यों

चाहता क्या ये बताऊँ कैसे
बेवजह ये अंजाम है क्यों

मेरा दिल नादान है क्यों

अफसाना प्यार का इसकी चाहत
प्यार से फिर अनजान है क्यों

अजीब सी कशमकश में हूँ मैं
उसकी अदाओं से अनजान है क्यों

मेरा दिल नादान है क्यों

आईने में देखा है खुद को
फिर भी परेशान है क्यों

आगाज़े मुहब्बत सिखाओ इसको
उसकी नजाकत से अनजान है क्यों

मेरा दिल नादान है क्यों

क्यों नहीं एहसास हैं इस दिल में
अरमान इसके नादान  हैं क्यों

एहसासों से परे दुनिया इसकी
फिर भी यूं ही ये बदनाम है क्यों

मेरा दिल नादान है क्यों
मेरा दिल नादान है क्यों


No comments:

Post a Comment